आम का छिलका / akbar birbal ki kahani

एक दिन अकबर बादशाह बेगमों के साथ बैठे आम खा रहे थे , बीरबल भी वहाँ उपस्थित था । बादशाह आम खा कर उसकी गुठली और छिलके अपनी बेगम के सामने रखते जा रहे थे । अचानक बीरबल की ओर देख कर मुस्कुराए और बोले देखो बीरबल ! यह बेगम कितनी पेटू है ? मैंने एक आम नहीं खाया और इसने सारे आम खा डाले ! बेगम इस दिल्लगी का उत्तर न दे पाई वह लज्जा से लाल होकर रह गई ।
उसने बीरबल की ओर देखा । बीरबल चुप न रह सके और बोले - पृथ्वीनाथ ! अपराध क्षमा हो ! बेगम साहिबा अधिक खाती हुई भी छिलके , गुठली तो छोड़ देती है , पर आप तो उन्हें भी नहीं छोड़ते । यह सुन बादशाह चुप रह गए और बेगम प्रफुल्लित हो गई ।

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