टोबा एक महत्वपूर्ण पारम्परिक जल प्रबन्धन है , यह नाडी के समान आकृतिवाला होता है । यह नाडी से अधिक गहरा होता है । सघन संरचना वाली भूमि , जिसमें पानी का रिसाव कम होता है , टोबा निर्माण के लिए यह उपयुक्त स्थान माना जाता है । इसका ढलान नीचे की ओर होना चाहिए । टोबा के आस - पास नमी होने के कारण प्राकृतिक घास उग आती है जिसे जानवर चरते हैं । प्रत्येक गाँव में जनसंख्या के हिसाब से टोबा बनाये जाते हैं प्रत्येक जाति के लोग अपने अपने टोबा पर झोपड़ियां बना लेते हैं । टोबा में वर्ष भर पानी उपलब्ध रहता है । टोबा में पानी कभी - कभी कम हो जाता है . तो आपसी सहमति से जल का समुचित प्रयोग करते है । एक टोबा के जल का उपयोग सामान्यतः बीस परिवार तक कर सकते हैं । समय समय पर टोबा की खुदाई करके पायतान ( आगोर ) को बढ़ाया जा सकता है । इसे गहरा किया जाता है , ताकि पानी का वाष्पीकरण कम हो ।
टांका राजस्थान में रेतीले क्षेत्र में वर्षा जल को संग्रहित करने की महत्वपूर्ण परम्परागत प्रणाली है । इसे कुंड भी कहते हैं । यह विशेषतौर से पेयजल के लिए प्रयोग होता है । यह सूक्ष्म भूमिगत सरोवर होता है । जिसको ऊपर से ढक दिया जाता है इसका निर्माण मिट्टी से भी होता है और सिमेण्ट से भी होता है । यहाँ का भू - जल लवणीय होता हैं इसलिए वर्षा जल टांके में इकट्टा कर पीने के काम में लिया जाता है । वह पानी निर्मल होता है । यह तश्तरी प्रकार का निर्मित होता है । टांका किलों में , तलहटी में , घर की छत पर , आंगन में और खेत आदि में बनाया जाता है । इसका निर्माण सार्वजनिकरूपसे लोगों द्वारा , सरकार द्वारा तथा निजी निर्माण स्वंय व्यक्ति द्वारा करवाया जाता है । पंचायत की जमीन पर निर्मित टांका सार्वजनिक होता है । जिसका प्रयोग पूरा गांव करता है । कुछ टांके ( कुंडी ) गांव के अमीरों द्वारा धर्म के नाम पर परोपकार हेतु बनवा दिये जाते हैं । एक परिवार विशेष उसकी देख - रेख करता है । कुंडी या टांके का निर्माण जमीन या चबूतरे के ढलान के हिसाब से बनाये जाते हैं जिस आंगन में वर्षा का जल संग्रहित किया जाता है , उसे , आगोर...
एक दिन अकबर बादशाह बेगमों के साथ बैठे आम खा रहे थे , बीरबल भी वहाँ उपस्थित था । बादशाह आम खा कर उसकी गुठली और छिलके अपनी बेगम के सामने रखते जा रहे थे । अचानक बीरबल की ओर देख कर मुस्कुराए और बोले देखो बीरबल ! यह बेगम कितनी पेटू है ? मैंने एक आम नहीं खाया और इसने सारे आम खा डाले ! बेगम इस दिल्लगी का उत्तर न दे पाई वह लज्जा से लाल होकर रह गई । उसने बीरबल की ओर देखा । बीरबल चुप न रह सके और बोले - पृथ्वीनाथ ! अपराध क्षमा हो ! बेगम साहिबा अधिक खाती हुई भी छिलके , गुठली तो छोड़ देती है , पर आप तो उन्हें भी नहीं छोड़ते । यह सुन बादशाह चुप रह गए और बेगम प्रफुल्लित हो गई ।
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