माँग में सिन्दूर लगाना सुहागिन स्त्रियों का सूचक है । हिन्दुओं में विवाहित स्त्रियाँ ही सिन्दूर लगाती हैं । कुंवारी कन्याओं एवम् विधवा स्त्रियों के लिए सिन्दूर लगाना वर्जित है । इसके अलावा सिन्दूर लगाने से स्त्रियों के सौन्दर्य में भी निखार आता है अर्थात् उनकी सुन्दरता बढ़ जाती है । विवाह - संस्कार के समय पर दूल्हा , दुल्हन के मस्तक में मंत्रोच्चार के मध्य पाँच अथवा सात बार चुटकी से सिन्दूर डालता है । तत्पश्चात् विवाह कार्य सम्पन्न हो जाता है । उस दिन से वह स्त्री अपने पति की दीर्घायु लम्बी आयु के लिए प्रतिदिन सिन्दूर लगाती है । माँग में दमकता सिन्दूर स्त्रियों के श्रृंगार का प्रमुख अंग है ।
एक दिन अकबर बादशाह बेगमों के साथ बैठे आम खा रहे थे , बीरबल भी वहाँ उपस्थित था । बादशाह आम खा कर उसकी गुठली और छिलके अपनी बेगम के सामने रखते जा रहे थे । अचानक बीरबल की ओर देख कर मुस्कुराए और बोले देखो बीरबल ! यह बेगम कितनी पेटू है ? मैंने एक आम नहीं खाया और इसने सारे आम खा डाले ! बेगम इस दिल्लगी का उत्तर न दे पाई वह लज्जा से लाल होकर रह गई । उसने बीरबल की ओर देखा । बीरबल चुप न रह सके और बोले - पृथ्वीनाथ ! अपराध क्षमा हो ! बेगम साहिबा अधिक खाती हुई भी छिलके , गुठली तो छोड़ देती है , पर आप तो उन्हें भी नहीं छोड़ते । यह सुन बादशाह चुप रह गए और बेगम प्रफुल्लित हो गई ।